शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां आप कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाकर पैसा कमाते हैं। लेकिन, शेयर बाजार से वही लोग पैसा कमाने में कामयाब होते हैं, जो सही शेयर चुनने की कला में माहिर होते हैं। पी/ई अनुपात यानी मूल्य-आय अनुपात सही शेयर चुनने में इस्तेमाल किया जाने वाला एक अनुपात है। तो, शेयर बाजार में निवेश करने जा रहे हैं तो पहले इस अनुपात के बारे में जरूर जानें। इस लेख में आगे पी/ई अनुपात के बारे में विस्तार से जानेंगे। साथ ही ये भी जानेंगे कि सही शेयर चुनने में यह निवेशकों को कैसे मदद कर सकता है।
पी/ई अनुपात क्या है?
वैसे तो शेयर बाजार से कमाने के कई तरीके हैं। इन तरीकों में से एक है सस्ता शेयर खरीदकर उसे महंगे में बेचना। सवाल है कि आप कैसे पता करेंगे कि कोई शेयर सस्ता है या महंगा? बाजार में तो हम सामान की कीमत से पता कर लेते हैं कि सामान सस्ता है या महंगा। लेकिन, शेयर बाजार में केवल बाजार कीमत से हम पता नहीं कर सकते हैं कि कोई भी शेयर सस्ता या महंगा। हां, उस शेयर के पी/ई अनुपात जरूर ये संकेत देता है कि वह सस्ता है या महंगा।
इस अनुपात से यह पता चलता है कि कोई निवेशक कंपनी की प्रति रुपए कमाई का भुगतान करने के लिए कितना तैयार होता है। उदाहरण के लिए, यदि कंपनी का पी/ई अनुपात 20 है, तो इसका मतलब है कि कोई भी निवेशक कंपनी की एक रुपए की मौजूदा कमाई के लिए 20 रुपये देने को तैयार है। एक उच्च पी/ई को स्टॉक के ओवरवैल्यूएशन मतलब महंगा होने के रूप में देखा जा सकता है, जबकि कम पी/ई को उस स्टॉक के अंडरवैल्यूएशन यानी सस्ता होने का संकेत हो सकता है। ओवरवैल्यूड स्टॉक तब होता है, जब शेयर आंतरिक मूल्य से अधिक मूल्य पर ट्रेड करता है। उसी तरह से अंडरवैल्यूड स्टॉक तब होता है. जब शेयर आंतरिक मूल्य से कम मूल्य पर ट्रेड करता है। कम पी/ई अनुपात का मतलब है कि भविष्य में मुनाफा की ज्यादा गुंजाइश। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि उच्च पी/ई अनुपात महंगा होता है, और कम पी/ई अनुपात सस्ता होता है।
पी/ई अनुपात दो तरह के होते हैं- ट्रेलिंग और फॉरवर्ड लुकिंग। ट्रेलिंग पी/ई अनुपात किसी भी कंपनी या इंडेक्स या शेयर बाजार के पिछले प्रदर्शन पर निर्भर करता है। दूसरी ओर, फॉरवर्ड पी/ई अनुपात में अनुमानित भविष्य आय का इस्तेमाल करता है। इसे कमाई की अनुमानित लागत के रूप में भी जाना जाता है। यह संकेतक वर्तमान आय और भविष्य की आय के बीच तुलना का आधार प्रदान करने के लिए मूल्यवान होता है और इससे कंपनी की मुनाफे में क्या और कैसे नुकसान होगा, इसकी साफ साफ तस्वीर मिलती है।
ट्रेलिंग पी/ई अनुपात पिछले 12 महीनों से प्रति शेयर आय का उपयोग करता है, जो ऐतिहासिक प्रदर्शन को दर्शाता है। इसके विपरीत, फॉरवर्ड पी/ई अनुपात अगले 12 महीनों के लिए अनुमानित आय का उपयोग करता है, जिसमें भविष्य की अपेक्षाएं शामिल होती हैं।
फॉरवर्ड पी/ई का उपयोग अक्सर कंपनी की विकास संभावनाओं के बारे में निवेशकों की भावना को मापने के लिए किया जाता है, जबकि ट्रेलिंग पी/ई वास्तविक पिछले प्रदर्शन के आधार पर एक स्नैपशॉट प्रदान करता है।
> पी/ई अनुपात मापने का सूत्र क्या है?
किसी भी शेयर या इंडेक्स या शेयर बाजार का पी/ई अनुपात उसके मौजूदा बाजार कीमत को उसके प्रति शेयर आय यानी ईपीएस से भाग देकर पता किया जाता है। इस अनुपात को आप नीचे दिये गए सूत्र से पता कर सकते हैं:
पी/ई अनुपात =शेयर की बाजार कीमत/प्रति शेयर आय (ईपीएस)
प्रति शेयर आय (ईपीएस) = कंपनी का कुल शुद्ध लाभ / शेयरों की कुल संख्या
किसी कंपनी के शेयर स्टॉक की मौजूदा बाजार कीमत को आप बीएसई या एनएसई की वेबसाइट से ऑनलाइन पता कर सकते हैं।
> उदाहरण से समझें पी/ई अनुपात?
इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लिया हम एबीसी कंपनी के लिए 5 जुलाई 2024 तक पी/ई अनुपात की गणना करते हैं, जब कंपनी का प्रति शेयर मूल्य ₹250 पर बंद हुआ था, जबकि पिछले 12 महीनों के लिए कंपनी की प्रति शेयर आय (ईपीएस) ₹10 थी। ऐसे में एबीसी कंपनी का पी/ई अनुपात होगा ₹25 (₹250/₹10)। इसका मतलब ये हुआ कि निवेशक कंपनी की एक रुपए की कमाई के लिए ₹25 देने को तैयार हैं।
> निवेशकों के लिए पी/ई अनुपात का मतलब?
आमतौर पर, अधिक पी/ई से संकेत मिलता है कि निवेशक कम पी/ई वाले निवेशकों की तुलना में उच्च आय वृद्धि की उम्मीद करते हैं। कम पी/ई यह अनुमान दे सकता है किसी कंपनी का मूल्यांकन कम किया गया है या कोई फर्म अपने पिछले प्रदर्शन की तुलना में असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रही है। अधिक या कम पी/ई अनुपात यह इंगित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है कि कोई स्टॉक खरीदने लायक है या नहीं।
> पी/ई अनुपात की सीमाएं?
इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि कोई शेयर अपनी आय के सापेक्ष अधिक मूल्यवान है या कम मूल्यवान। इसके अलावा, पी/ई अनुपात एक ही उद्योग की कंपनियों की तुलना करने में मदद करता है, जैसे कि बीमा कंपनी से बीमा कंपनी या टेलीकॉम से टेलीकॉम। यह बाजार की भावना और निवेश संभावनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है। बावजूद इसके सही शेयर का चयन करते समय पी/ई अनुपात की कई सीमाएं हैं। जैसे यह भविष्य की आय वृद्धि को ध्यान में नहीं रखता है, यह लेखांकन प्रथाओं से प्रभावित हो सकता है और विभिन्न उद्योगों में तुलनीय नहीं हो सकता है। यह ऋण स्तर, नकदी प्रवाह या आय की गुणवत्ता जैसे अन्य वित्तीय पहलुओं पर भी विचार नहीं करता है। इसलिए इसका उपयोग अन्य वित्तीय उपायों के साथ किया जाना चाहिए, क्योंकि यह भविष्य की विकास संभावनाओं, ऋण स्तरों या उद्योग-विशिष्ट कारकों को ध्यान में नहीं रखता है।
निष्कर्ष:
यह अनुपात हालांकि अपने आप में बेचने या खरीदने का साफ साफ संकेत तो नहीं देता है, लेकिन यह निवेशक इसका इस्तेमाल यह जानने में जरूर कर सकते हैं कि कोई भी शेयर, इंडेक्स या बाजार महंगा है या सस्ता। जानकारों का कहना है कि सही शेयर का चुनाव करते समय केवल पी/ई अनुपात के भरोसे मत रहें, बल्कि कई दूसरे वित्तीय मापदंड का भी इस्तेमाल करें।
डिस्क्लेमर– यह लेख जानकारी और जागरूक करने के लिए है। इसे शेयर बाजार में निवेश की सलाह नहीं माने।
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